बुधवार, 29 अक्तूबर 2014

हम जायेंगे जब इस क़दर जायेंगे

चित्र स्रोत - गूगल
हम तन्हा कभी जब सफ़र जायेंगे ।
नहीं मानेंगे साथ रहगुज़र जायेंगे ।।
ठुकरा  के  तुम  जो  चले  जाओगे ।
हम माला  के जैसे  बिखर जायेंगे ।।
दर्द  देंगे  कभी  तो  है  वादा हमारा ।
आँसू बनकर के दिल से उतर जायेंगे ।।
बस इनायत के भूखे है हम आपके ।
तुम  दे दो थोड़ा  प्यार  तर जायेंगे ।।
सबको मालूम है हम हैं तुम्हारे सनम ।
अब निकाला तो हम किसके घर जायेंगे ।।
तुम  ढूंढ़ते  रहोगे  हम  मिलेंगे  नहीं ।
हम जायेंगे  जब  इस  क़दर जायेंगे ।।

2 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. शुक्रिया संजय जी। मुझे आपका ब्लॉग अच्छा लगा। वक़्त की कमी के कारण कमेंट्स नहीं कर सका। उसका मुझे खेद है। वक़्त मिलते ही आपको कंमेंट्स करूँगा।

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